सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन


इस काल के लोग मात्री देवी की पूजा करते थे।  मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति की मुहर से पशुपतिनाथ की पूजा या शिव की पूजा का प्रमाण मिलता है।  प्राकृतिक पूजा के अंतर्गत पीपल के वृक्षों पीपल के वृक्षों की पूजा की जाती थी। तथा पशुओं में कुंवर वाला सांढ  प्रमुख था।  लोथल एवं कालीबंगा से अग्निकुंड के प्रमाण मिले हैं। 
               




                    सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का आर्थिक जीवन


इस काल के लोगों का प्रमुख पेशा कृषि कार्य था।  जौ, मटर, सरसों आदि उगाते थे चावल के अवशेष लोथल एवं रंगपुर से प्राप्त हुए हैं।  लोथल से आटा पीसने की चक्की प्राप्त हुए हैं कपास उगाने का श्रेय सिंधु सभ्यता के लोगों को ही जाता है।  कालीबंगा से जूते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।  पशुपालन के रूप में गाय बैल भैंस बकरी कुत्ता आदि जानवर पाले जाते थे।  घोड़े का साक्ष्य सुरकोटडा से प्राप्त हुए हैं लेकिन इसका स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं।  सिंधु सभ्यता के लोगो  का व्यापार राजस्थान, अफगानिस्तान ,इरान तथा मध्य एशिया के अन्य देशों के साथ होता था।  मेसोपोटामिया और सिंधु सभ्यता के विनिमय स्थल दिल मून बहरीन द्वीप तथा माकन ओमान था ।  भारत में लोथल से मेसोपोटामिया में वर्णित शहर मेंहुला का संबंध सिंधु क्षेत्र से  था। 
भारत में गुजरात के लोथल से गोदी के साक्ष्य मिले हैं जहां से विदेशी व्यापार होता था।  सिंधु घाटी सभ्यता में प्राप्त मुहरे बेलनाकार, वृत्ताकार ,आयताकार होती थी जिस पर एक सिंह वाले सांड की आकृति प्राप्त हुई है । अन्य चित्रों में कुत्ता, हिरन, भैंस ,बाघ आदि प्राप्त हुए हैं इस काल की लिपि भाव चित्रात्मक थी।  जो दाई से बाई ओर लिखी जाती थी।  इस काल की सबसे प्रसिद्ध कलाकृति मोहनजोदड़ो से प्राप्त कांसे की नर्तकी मूर्ति का चित्र है।  हड़प्पा सभ्यता एक नगरिय शब्द सभ्यता थी और इसकी सबसे विशेषता इसकी नगर नियोजन प्रणाली थी।  ईंटों का निर्माण 4:2:1 के अनुपात में होता था और सड़क  एक दूसरे को समकोन पर काटती थी।